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प्रिय पाठक "कोई आँख ऐसी नहीं होती जिसमे खवाब न हो , स्वप्न न हो , स्वप्न दरअसल हैं क्या ? आज से अलग किसी नए कल की इच्छा ही तो है, आसमान से परे उड़ने की बात हो या धरा का रूप बदल देने या अपनेपन की महक से रिश्तों को महकाने की, हर स्वप्न जब हौसले की तरकश पर चढ़कर लक्ष्य भेदने को चल पड़ता है तो कसम का नाम रख लेता है , अहद कहलाता है, वादा बनता है, वादा खुद से कि खवाब पूरा करेंगे l ये कसमें जहाँ जीवन की जदोजहद में दिखतें हैं वहीँ अपनों के प्रति प्रतिबधता के रूप में झलकती हैं, हर आशीर्वाद में बहती हैं और बच्चों की उस ठुमक में बरसती हैं , बड़ों के झुठ्मुठ के गुस्से में लिपटे प्यार में छुपी होती हैं l मेरी हर प्रतिभागियों को शुभकामनाएं, की वे अपने विद्यार्थियों के समक्ष प्रेरणा की एक साकार मूर्त हों एवं शिक्षा के सभी मानदंडो पर सिधस्थ हों एवं सकारात्मकता का प्रतिक चिन्ह बने l " ऐ वी एल जे राव उपायुक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन जम्मू संभाग |